
फ़ायनांशियल प्लैनर नयनिका नायर, 30, की कल्पना में हाल ही में एक बढ़ोतरी हुई है. ‘‘मैं पिछले पांच वर्षों से अपने बॉयफ्रेंड (अब मंगेतर) के साथ हूं और हमारा सेक्स जीवन ख़ुशहाल है. पर वो अधिकतर टूर पर ही रहते हैं और मुझे अपनी सेक्शुअल ज़रूरतों की पूर्ति ख़ुद ही करनी पड़ती है,’’ वो बताती हैं,‘‘हाल ही में ख़ुद को स्पर्श करते हुए मैंने एक दूसरी महिला की कल्पना की. हमेशा नहीं, पर कई बार ऐसा होता है. इसकी वजह से मैं अपनी सेक्शुअल वरीयता पर संदेह करने लगी हूं!’’ नयनिका को ग्लानि होती है और हैरानी भी. पर जब उनके मंगेतर वापस आते हैं तो वो सिर्फ़ और सिर्फ़ उन्हीं के साथ होना चाहती हैं. ‘‘मुझे पता है कि मैं किसी महिला के साथ रिश्ते नहीं बनाना चाहती. मैं सामान्य हूं, समलैंगिक नहीं; बस, शायद थोड़ा ज़्यादा उत्सुक हूं!’’
उनके बारे में जानकर आपमें से कितनी महिलाओं को ये लगा,‘अरे मेरे साथ भी ऐसा होता है. तो क्या इसका मतलब है कि ये सामान्य है?’
अमेरिका की बोइस स्टेट यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक़ ये बिल्कुल सामान्य है! उनके शोध में शामिल विषमलैंगिक महिलाओं में से आधी से अधिक महिलाओं ने स्वीकारा कि उन्होंने भी दूसरी महिला की कल्पना की थी. 60 प्रतिशत महिलाओं ने दूसरी महिला के प्रति सेक्शुअल आकर्षण महसूस करने की बात भी मानी. और 45 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि उन्होंने किसी महिला को चुंबन भी लिया है!
हमें महिलाएं क्यों पसंद हैं?
बोइस यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी की प्रोफ़ेसर एलिज़ाबेद मॉर्गैन के अनुसार, सामान्य महिलाएं अक्सर दूसरी महिलाओं के प्रति दोस्ताना से कहीं अधिक स्नेह रखती हैं. इस अध्ययन में कहा गया है कि यह बात इस बात से भी जुड़ी है कि सामाजिक तौर पर महिलाएं एक-दूसरे के प्रति स्वाभाविक स्नेह रखती हैं-फ़ोन पर घंटों बातचीत करने से लेकर साथ-साथ ख़रीददारी करने तक. यह भी कहा जाता है कि महिलाओं की दोस्ती और उनके बीच रोमैंटिक संबंधों को अलग से नहीं पहचाना जा सकता, क्योंकि उन्हें एक-दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़े रहने के लिए प्रेरित किया जाता है. इसकी वजह से अंतरंगता का अवसर भी पैदा हो जाता है और धीरे-धीरे रोमैंटिक भावनाएं विकसित हो सकती हैं.
हालांकि मुंबई की साइकोलॉजिस्ट सोनाली गुप्ता के पास इस अध्ययन के समर्थन में कुछ और थ्योरीज़ भी हैं.
आंखों के लिए
‘‘ये बिल्कुल सच है कि महिलाएं सुंदर और स्टाइलिश महिलाओं को देखना पसंद करती हैं, क्योंकि महिलाओं के पास प्रशंसा करने लायक बहुत कुछ होता है, जैसे-कपड़े, शूज़, ऐक्सेसरीज़, बाल, मेकअप या फिर ख़ुद को प्रस्तुत करने का तरीक़ा. इसके अलावा पुरुषों का शरीर कर्वी और आकर्षक नहीं होता अत: महिलाओं के फ़िगर के प्रति महिलाओं का आकर्षण स्वाभाविक है,’’ सोनाली कहती हैं. उन्हें देखकर वे ये अनुमान लगाना चाहती हैं कि इनकी सेक्शुअल लाइफ़ कैसी होगी.
क्योंकि ये धोखा नहीं है
विषमलैंगी रिश्तों में शामिल महिलाओं का ऐसी कल्पना करना, सुरक्षित तरी़के से अपनी सेक्शुअल लाइफ़ में आनंद बढ़ाने का तरीक़ा है. ‘‘महिलाएं चूंकि दिल से सोचती हैं अत: वे किसी दूसरे पुरुष के बजाय महिला की कल्पना करने को तरजीह देती हैं. उन्हें लगता है कि वे किसी भी तरह की धोखेबाज़ी नहीं कर रही हैं-भावनात्मक भी नहीं,’’ सोनाली कहती हैं
यह पलायन का तरीक़ा है
‘‘कल्पना करना बिल्कुल सही है, क्योंकि वह सिर्फ़ कल्पना है,’’ सोनाली कहती हैं,‘‘यह उस अनजाने संसार की ओर पलायन है, संकोच की वजह से दुनिया जिससे बचना चाहती है. कल्पना सुरक्षित तरीक़ा है, जिसमें आप आसानी से वह कर सकते हैं, जो आप चाहते हैं. बहुत से लोगों के दिमाग़ में ऐसा चल रहा होता है, पर वो इस बारे में कोई बात नहीं करते हैं.’’ सोनाली को लगता है कि आजकल चारों ओर से हमारे ऊपर महिलाओं की सेक्शुअल छवि को लेकर हमला हो रहा है, सभी जगह-फिर चाहे वो टीवी हो, सिनेमा या इंटरनेट. ‘‘इसका महिलाओं की सेक्शुअल वरीयता से तब तक कोई लेना-देना नहीं है, जब तक कि आप सिर्फ़ महिलाओं के प्रति ही आकर्षण महसूस न करती हों.’’