
बचपन वह वक़्त है, जब बच्चों की आदतें, उनके स्वभाव, पसंद-नापसंद को गढ़ा जा सकता है. आप बच्चों को पर्सनल हाईजीन से लेकर खानपान की अच्छी आदतों की ट्रेनिंग बचपन में ही देते हैं ना! तो क्यों न उन्हें पर्यावरण के प्रति जागरूक करने की शुरुआत भी बचपन से ही कर दें. ख़ैर उन्हें भाषण पिलाने के बजाय उनमें छोटी-छोटी ईकोफ्रेंडली आदतें डालें. इस पूरी एक्सरसाइज़ की सबसे मज़ेदार बात… आप अच्छी आदतें सिखाकर अपने काफ़ी पैसे भी बचा सकेंगे.
बिजली: ऊर्जा बचाना वह पहली सीख है, जो आपको अपने बच्चे को देनी चाहिए. ईकोफ्रेंडली बनाने के लिए उन्हें बताएं कि ज़रूरत न होने पर बिजली के उपकरणों को बंद कर दें. हां, आप भी घण पर पारंपरिक बल्ब्स की जगह एलईडी लाइटें लगवा लें.
नल की टोंटी बंद रखें: अपने बच्चों को बताएं कि पानी की हर एक बूंद बचाकर वे धरती मां की सेवा कर रहे हैं. उन्हें नहाते, ब्रश करते और साफ़-सफ़ाई करते समय पानी की बर्बादी के प्रति सचेत रहने कहें.
प्लास्टिक को कहें ना: किचन में प्लास्टिक के कंटेनर्स की जगह कांच के कंटेनर्स का इस्तेमाल करें. बच्चों के खिलौनों में भी प्लास्टिक के टॉएज़ को लकड़ी से बने खिलौनों से रीप्लेस कर दें. ग्रॉसरी शॉपिंग के लिए जाते समय घर से कपड़े की थैली लेकर जाएं, बजाय प्लास्टिक की थैली लेने या नई थैली ख़रीदने के. कपड़े की थैलियों को बच्चे से डेकोरेट करवाएं.
चीज़ों को व्यवस्थित रखना सिखाएं: बच्चों को ईकोफ्रेंडली बनाने का सबक देने का सबसे सही तरीक़ा है, उन्हें चीज़ों की क़दर करना सिखाना. उन्हें बताना कि चाहे जिस जगह जाएं, उसे अपने घर की तरह ही समझें. जिस तरह हम अपने घर में चीज़ें व्यवस्थित रखते हैं, उसी तरह बाहर भी साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखना चाहिए.
घर पर कम्पोस्ट बनाएं: बच्चों को ऑर्गैनिक कचरे, जैसे-सब्ज़ियों के छिलके, पेपर या पत्तियों के इस्तेमाल से कम्पोस्ट खाद बनाने का प्रैक्टिकल तरीक़ा सुझाएं. इसके लिए आपको कम्पोस्ट बॉक्स की ज़रूरत होगी. इस तरीक़े का इस्तेमाल करके आप बच्चों को कचरे को रीसाइकल करना सिखा सकेंगे. बच्चे यह भी समझेंगे कि कचरे को सही इस्तेमाल में कैसे लाया जा सकता है.
उन्हें प्रकृति के क़रीब ले जाएं: बच्चे प्रकृति के क़रीब तब होंगे, जब वे उसकी ख़ूबसूरती को महसूस करेंगे. इसके लिए ज़रूरी है कि उन्हें शाम को या छुट्टी के दिन घूमने के लिए पार्क ले जाएं. अगर वहां झील हो तो मछलियों को या डक्स को दाना खिलाने कहें. लंबी छुट्टियों में उन्हें ग्रामीण इलाक़ों की सैर पर ले जाएं. जब वे प्रकृति से रूबरू होंगे तो स्वाभाविक रूप से उसकी ओर उनका रुझान बढ़ेगा.
उनकी आदतों पर भी दें ध्यान: गार्डनिंग, साइक्लिंग या पत्थर चुनने जैसी गतिविधियों में उनकी रुचि जगाकर इन्हें उनकी आदतों में शामिल करें. जब उनकी नैसर्गिक गतिविधियों में रुचि जगेगी, तब वे अपने आप प्रकृति से प्यार करना शुरू कर देंगे.
पुरानी चीज़ों का कलात्मक इस्तेमाल सिखाएं: पुराने बैग, कपड़े, अख़बार, डिब्बे आदि से काम की चीज़ें बनाने की शुरुआती ट्रेनिंग यदि बच्चों को घर से ही मिलेगी तो वे आगे चलकर कम कचरा जनरेट करेंगे. यह अपने आप में प्रकृति की बहुत बड़ी सेवा होगी.
बताएं शेयरिंग इज़ केयरिंग का महत्व: अपने छोटे बच्चों को बताएं कि चीज़ों को साझा करना कितनी अच्छी आदत है. उन्हें अपने पुराने कपड़े और किताबें दूसरे बच्चों को ख़ुशी-ख़ुशी दे देनी चाहिए. चाहे अपने छोटे भाई बहनों को या दूसरे ज़रूरतमंद बच्चों को. आप उन्हें डोनेशन कैम्प ले जाएं और दिखाएं कि लोग किस तरह चीज़ें डोनेट करते हैं. इससे उनमें पुरानी चीज़ों को अच्छे काम में इस्तेमाल करने की संवेदनशीलता जागृत होगी.