
लॉकडाउन के दौरान पूरी दुनिया में एक ट्रेंड दिखा है. सभी जगह डोमेस्टिक वॉयलेंस यानी घरेलू हिंसा के मामले बढ़ते दिखे हैं. अब चूंकि लॉकडाउन है तो पीड़िता को उत्पीड़क के साथ ही रहना एक तरह से मजबूरी बन गई है. एक अंतर्राष्ट्रीय अख़बार के मुताबिक़ संयुक्त राष्ट्र के पॉप्युलेशन फ़ंड और उनके पार्टनर एवेनीर हेल्थ, जॉन्स हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी (यूएस) और विक्टोरिया यूनिवर्सिटी (ऑस्ट्रेलिया) ने हाल ही में घरेलू हिंसा पर एक रिपोर्ट जारी की है. इसके मुताबिक़ संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में लॉकडाउन के पहले तीन महीनों में घरेलू हिंसा के मामलों में 20% की बढ़ोतरी देखी गई है.
वहीं भारत की बात करें तो राष्ट्रीय महिला आयोग ने बताया है कि मार्च के अंतिम हफ़्ते में उसके पास कुल 257 मामले रिपोर्ट किए गए हैं. दक्षिण अफ्रीका में लैंगिक हिंसा से जुड़े मामलों की संख्या 90,000 रही. यह संख्या देश में 26 मार्च से 2 अप्रैल के बीच की है, जो कि वहां लॉकडाउन का पहला हफ़्ता था. ऑस्ट्रेलिया में किए गए एक ऑनलाइन सर्वे में पाया गया कि 23 मार्च से देश में लगाए गए लॉकडाउन के बाद वहां घरेलू हिंसा के मामलों में 75% बढ़ोतरी देखने को मिली है. हालांकि इन आंकड़ों में केवल वे मामले शामिल हैं, जिनकी रिपोर्ट की गई है. अनरिपोर्टेट मामलों की तो अलग ही कहानी है.
घरेलू हिंसा के मामलों की रिपोर्ट फ़िलहाल करना इसलिए भी मुश्क़िल हो गया है कि अब हिंसा के शिकार व्यक्ति को उत्पीड़क के साथ ही रहना होता है तो, वह उसके सामने अपना दुखड़ा कैसे रोए. हिंसा की शिकार महिलाओं की इस बेबसी को समझते हुए कैनेडियन वुमन्स फ़ाउंडेशन ने एक हैंड सिगनल का ईजाद किया है, जो काफ़ी मददगार साबित हो सकता है.
हिंसा की शिकार महिलाएं इस सिगनल का इस्तेमाल करके मदद मांग कसती हैं. फ़र्ज़ कीजिए आप वीडियो कॉल पर हैं. आपका उत्पीड़क भी आसपास ही है. तो आप ज़ाहिर है, अपने साथ हो रही हिंसा की बात नहीं कर पाएंगी. तो आपको करना यह है कि अपना हाथ कैमरे की ओर दिखाएं. उसके बाद अपने अंगूठे को हथेली की ओर ले जाएं. उसके बाद बाक़ी बची चारों उंगलियों को फ़ोल्ड करके अंगूठे को ढंक लें.
इस संकेत का इस्तेमाल तब करें, जब आप हिंसा का शिकार हो रही हों और मौखिक रूप से इस बारे में बात करने में सक्षम न हों. कहीं अब्यूज़र आपके फ़ोन से किया गया मैसेज भी न चेक कर ले इस डर में भी जी रही हों तो यह तरीक़ा बड़ा कारगर साबित होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि इस तरह मदद मांगने का कोई डिजिटल सबूत नहीं रह जाएगा, जो अब्यूज़र चेक कर सके. यानी आप सेफ़ रहेंगी.
अगर आपके किसी दोस्त या जान-पहचान की महिला इस तरह के सिगनल का इस्तेमाल करे तो आपको क्या करना चाहिए?
* आप उसे बताएं कि आपने उसके सिगनल को समझ लिया है और उसे जब चाहे मदद के लिए तैयार हैं.
* उन्हें कॉल करें और उनसे इस बारे में और जानकारी लें. उससे पूछें कि क्या वह चाहती है कि आप हेल्पलाइन नंबर पर इस बारे में अथॉर्टीज़ को सूचना दें. हां इस दौरान आप उससे इस तरह बात करें कि उसके हां या ना कहने से ही चीज़ें क्लियर हो जाएं. उसे डीटेल में न बताना पड़े, ताकि अब्यूज़र सुनकर उसे और परेशान करना न शुरू कर दे.
* अगर उसे तुरंत मदद की ज़रूरत हो यानी मामला संगीन हो तो आप तत्काल घरेलू हिंसा के लिए मौजूद हेल्पलाइन पर संपर्क करके मामले को सुलझाने की कोशिश करें.